DGMO क्या है?
📚 Table of Contents
- परिचय
- पद की स्थापना
- पद का दर्जा और रैंक
- मुख्य कार्य
- सीमा पर निगरानी
- संचार और समन्वय
- अंतरराष्ट्रीय वार्ता
- आपात स्थिति प्रबंधन
- तकनीकी और खुफिया जानकारी
- महत्व और प्रभाव
- FAQs
1. परिचय
DGMO का फुल फॉर्म Director General of Military Operations है। यह भारतीय सेना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पद होता है, जो सेना की सैन्य अभियानों से जुड़ी सभी योजनाओं और क्रियान्वयन का नेतृत्व करता है। यह पद सेना मुख्यालय, नई दिल्ली में स्थित होता है और सीधे सेना प्रमुख (Chief of Army Staff) को रिपोर्ट करता है।
DGMO भारतीय थल सेना के भीतर एक उच्च स्तरीय अधिकारी होता है, जिसकी जिम्मेदारी युद्ध संचालन, सैन्य रणनीतियों और सभी संबंधित सैन्य गतिविधियों की निगरानी करना होती है। यह पद राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील होता है।
DGMO का मुख्य कार्य है कि वह देश की सीमाओं पर होने वाली हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखे और त्वरित निर्णय ले सके। यह अधिकारी सेना की युद्ध रणनीति, सीमावर्ती जवाबी कार्रवाइयों और संचालन की पूरी योजना तैयार करता है।
इस पद पर तैनात अधिकारी आमतौर पर एक लेफ्टिनेंट जनरल होता है, जिसे सैन्य संचालन का व्यापक अनुभव होता है। यह पद भारतीय सेना के संरचनात्मक ढांचे में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
2. पद की स्थापना
DGMO पद की स्थापना भारतीय सेना में स्वतंत्रता के बाद की गई थी, जब भारत को एक संगठित और उत्तरदायी सैन्य तंत्र की आवश्यकता महसूस हुई। 1965 और 1971 के युद्धों के बाद इस पद की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण मानी जाने लगी।
इस पद का उद्देश्य था कि सैन्य संचालन के लिए एक एकीकृत और केंद्रित नेतृत्व तैयार किया जाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति अधिक प्रभावी रूप से लागू की जा सके। पहले यह जिम्मेदारी अलग-अलग विभागों के बीच बंटी हुई थी, जिससे समन्वय की कमी थी।
DGMO की स्थापना के साथ सैन्य संचालन में तेज़ निर्णय लेने और संसाधनों के बेहतर उपयोग की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके चलते नियंत्रण रेखा पर त्वरित और सही कार्रवाई संभव हुई।
समय के साथ इस पद की भूमिका बढ़ती गई और इसे रक्षा मंत्रालय और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय की अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ भी सौंपी गईं।
3. पद का दर्जा और रैंक
DGMO एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है, जो भारतीय सेना के शीर्ष तीन अधिकारियों में से एक होता है। यह पद सेना के संचालन निदेशालय (Directorate of Military Operations) का प्रमुख होता है।
DGMO का दर्जा इतना महत्वपूर्ण होता है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा मंत्रालय, और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ भी सीधे संवाद करता है। इसका सुझाव और रणनीति नीतिगत निर्णयों में भी शामिल होता है।
इस रैंक तक पहुँचने के लिए एक अधिकारी को कई महत्वपूर्ण सैन्य पदों पर सेवा देनी होती है और युद्ध संचालन का गहन अनुभव आवश्यक होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में DGMO को रणनीतिक योजना और अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में विशेष दायित्व सौंपे जाते हैं। वह युद्ध और शांति दोनों कालों में समान रूप से सक्रिय रहते हैं।
4. मुख्य कार्य
DGMO का प्रमुख कार्य भारतीय सेना के सभी सैन्य अभियानों की योजना बनाना और उनका सफल संचालन सुनिश्चित करना होता है। इसमें युद्ध, सीमावर्ती संघर्ष, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन, और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
यह पद सभी थलसेना कमांडों से सामंजस्य स्थापित कर केंद्रीय स्तर पर संचालन का नियंत्रण करता है। DGMO सुनिश्चित करता है कि सभी कमांड एकसमान दिशा में कार्य करें।
सैन्य तैयारियों की समीक्षा, संसाधनों का आवंटन, और महत्वपूर्ण निर्णयों का क्रियान्वयन DGMO की जिम्मेदारी होती है। किसी भी प्रकार की आपदा या युद्ध की स्थिति में यह पद तत्काल निर्णय लेता है।
इसके अलावा, DGMO युद्ध प्रशिक्षण, सामरिक विश्लेषण और उच्च स्तरीय सैन्य अभ्यासों की निगरानी भी करता है।
5. सीमा पर निगरानी
DGMO का एक प्रमुख दायित्व है देश की सीमाओं पर सैन्य निगरानी और कार्रवाई सुनिश्चित करना। भारत की सीमाएं कई संवेदनशील क्षेत्रों से घिरी हुई हैं, जैसे पाकिस्तान, चीन, नेपाल, और म्यांमार।
सीमा पर किसी भी प्रकार की घुसपैठ, संघर्षविराम उल्लंघन या आतंकवादी गतिविधि की स्थिति में DGMO त्वरित निर्णय लेता है।
DGMO नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर हर गतिविधि की निगरानी करता है और उसे रिपोर्ट करता है। सेना के सभी सीमावर्ती कमांडर इसी के आदेशों के तहत कार्य करते हैं।
यह पद सुनिश्चित करता है कि भारतीय सेना हर समय सतर्क रहे और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार हो।
6. संचार और समन्वय
DGMO विभिन्न सैन्य शाखाओं जैसे वायुसेना, नौसेना और खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल बनाए रखता है। इसके बिना किसी भी सैन्य अभियान की सफलता संभव नहीं होती।
संचार का यह नेटवर्क समय पर सूचना, आदेश और कार्रवाई सुनिश्चित करता है। DGMO के निर्देशन में सभी कमांड एकजुट रूप से काम करते हैं।
यह समन्वय रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ भी होता है ताकि आतंरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा में तालमेल रहे।
DGMO की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह रणनीतिक, सामरिक और प्रशासनिक पक्षों को जोड़ता है।
7. अंतरराष्ट्रीय वार्ता
DGMO का एक अन्य दायित्व है विदेशी देशों विशेषकर पाकिस्तान के DGMO के साथ संवाद करना। यह संवाद आमतौर पर हॉटलाइन या फ्लैग मीटिंग के माध्यम से होता है।
इन वार्ताओं का उद्देश्य सीमाओं पर शांति बनाए रखना, संघर्षविराम उल्लंघनों को नियंत्रित करना, और गलतफहमियों को दूर करना होता है।
पाकिस्तान के साथ DGMO वार्ता भारत की विदेश नीति में एक सामरिक उपकरण बन गया है, जो बिना युद्ध के समाधान की दिशा में कार्य करता है।
इसके अलावा, DGMO अन्य मित्र देशों के साथ भी सैन्य अभ्यासों और आपसी समझ बढ़ाने के लिए संपर्क में रहता है।
8. आपात स्थिति प्रबंधन
किसी भी प्रकार की आपात स्थिति जैसे युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक, आतंकी हमले या सीमा पर घुसपैठ की स्थिति में DGMO की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है।
वह तत्काल निर्णय लेता है और विभिन्न सैन्य यूनिट्स को तैनात करता है। इस प्रक्रिया में समय की बचत और निर्णय की तीव्रता ही सफलता का मुख्य आधार होती है।
2016 की सर्जिकल स्ट्राइक इसका उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें DGMO ने न केवल मिशन की योजना बनाई बल्कि उसकी सफल क्रियान्विति भी सुनिश्चित की।
आपदा प्रबंधन, नागरिकों की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों का ध्यान रखते हुए DGMO स्थिति को संभालता है।
9. तकनीकी और खुफिया जानकारी
DGMO का काम केवल फिजिकल ऑपरेशन तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसे तकनीकी और खुफिया जानकारी का भी गहन विश्लेषण करना होता है।
सेना की खुफिया शाखाओं से मिली जानकारी को समझकर, रणनीतिक कार्रवाई की योजना तैयार की जाती है। इसमें सैटेलाइट डाटा, ड्रोन इमेजरी और जासूसी रिपोर्ट शामिल होती हैं।
यह विश्लेषण यह तय करता है कि कब, कहां और कैसे सेना को आगे बढ़ाना है। बिना ठोस खुफिया जानकारी के कोई भी सैन्य कार्रवाई जोखिमपूर्ण हो सकती है।
इसलिए DGMO के अधीन विश्लेषण और निर्णय की प्रक्रिया अत्यधिक तकनीकी और गोपनीय होती है।
10. महत्व और प्रभाव
DGMO की भूमिका भारतीय सेना और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पद सामरिक, रणनीतिक और राजनयिक निर्णयों को दिशा देता है।
इसके प्रभाव से न केवल सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि विदेशों के साथ भारत की रक्षा नीतियों को भी मजबूती मिलती है।
DGMO का कार्य संतुलन बनाए रखना होता है—युद्ध की स्थिति में तेज कार्रवाई और शांति की स्थिति में संवाद बनाए रखना।
यह पद इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि यह भारतीय सेना की ‘प्रतिक्रिया शक्ति’ का केंद्र बिंदु है।
❓ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- DGMO का फुल फॉर्म क्या है?
DGMO का मतलब है Director General of Military Operations। - DGMO कहाँ कार्य करता है?
DGMO भारतीय सेना मुख्यालय, नई दिल्ली में स्थित होता है। - क्या DGMO सेना प्रमुख होता है?
नहीं, DGMO सेना प्रमुख नहीं होता, वह सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है। - क्या DGMO युद्ध में भाग लेता है?
DGMO स्वयं मैदान में नहीं होता लेकिन सभी सैन्य अभियानों की योजना और निगरानी करता है। - DGMO की नियुक्ति कैसे होती है?
इस पद पर नियुक्ति थलसेना प्रमुख की अनुशंसा और रक्षा मंत्रालय की मंजूरी से होती है। - क्या DGMO का काम केवल भारत के लिए होता है?
मुख्यतः हाँ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं और समन्वय में इसकी भूमिका विदेशों तक फैलती है। - DGMO की हॉटलाइन किससे जुड़ी होती है?
मुख्यतः पाकिस्तान के DGMO से जुड़ी होती है, अन्य देशों से भी संपर्क होता है। - DGMO किस रैंक का होता है?
DGMO एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता है। - DGMO के अधीन कौन-कौन सी शाखाएं आती हैं?
सैन्य संचालन, खुफिया शाखाएं, सामरिक विश्लेषण इकाइयाँ आदि। - क्या DGMO की जानकारी सार्वजनिक होती है?
नहीं, DGMO के कई कार्य गोपनीय होते हैं और आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होते।
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