VDIS kya hai? पूरी जानकारी हिन्दी में

VDIS क्या है?

Table of Contents

  1. परिचय और उद्देश्य
  2. योजना की शुरुआत और समय सीमा
  3. मुख्य प्रावधान
  4. लाभ और रियायतें
  5. पात्रता मानदंड
  6. घोषणा की प्रक्रिया
  7. कर दर और भुगतान नियम
  8. गोपनीयता और कानूनी संरक्षण
  9. समालोचना और विवाद
  10. योजना का प्रभाव और निष्कर्ष

1. परिचय और उद्देश्य

Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक विशेष योजना थी जिसका उद्देश्य था कि वे लोग जो अब तक अपनी आय को कर विभाग से छुपाते आ रहे थे, वे बिना किसी कानूनी कार्रवाई के अपनी वास्तविक आय को घोषित कर सकें। इस योजना के माध्यम से सरकार ने कर प्रणाली में पारदर्शिता लाने और कर संग्रह बढ़ाने का प्रयास किया। 

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VDIS को उन लोगों को एक अवसर देने के रूप में देखा गया, जो पूर्व में कर चोरी कर चुके थे लेकिन अब अपनी गलतियों को सुधारना चाहते थे। यह योजना उन्हें दंड या अभियोजन से छूट प्रदान करके ईमानदारी से आय की घोषणा करने का प्रोत्साहन देती थी।

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य कर आधार को व्यापक बनाना और अनियमित आय को वैधता देना था। इससे न केवल सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी हुई, बल्कि कर प्रणाली में नागरिकों का विश्वास भी बढ़ा।

कुल मिलाकर यह एक सकारात्मक कदम था जिससे लोगों को एक नई शुरुआत का अवसर मिला और सरकार को आय के छिपे स्रोतों का पता चला।

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2. योजना की शुरुआत और समय सीमा

VDIS की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 1997 में की गई थी, जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। यह योजना 1 जून 1997 से लागू की गई और 31 दिसंबर 1997 तक प्रभावी रही।

योजना के तहत घोषित आय को 1 अप्रैल 1987 से पहले की किसी भी अवधि से संबंधित माना जा सकता था। इससे करदाताओं को पिछले दस वर्षों की अनघोषित आय को वैध करने का अवसर मिला।

इस योजना को आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत विशेष प्रावधानों के तहत लाया गया था, जिसमें विभिन्न प्रक्रियाएं और नियम निर्धारित किए गए थे।

योजना की समय सीमा सीमित होने के कारण लोगों में जल्दी-जल्दी खुलासा करने की होड़ लगी, जिससे सरकार को भारी मात्रा में कर संग्रह प्राप्त हुआ।

3. मुख्य प्रावधान

VDIS के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था अपनी अब तक छुपाई गई संपत्ति या आय की घोषणा कर सकता था। इसमें नकद, अचल संपत्ति, सोना, आभूषण, शेयर आदि शामिल थे।

घोषणा करने वाले को घोषित आय पर निर्धारित दर से कर का भुगतान करना आवश्यक था। उस समय यह दर 30% से 35% के बीच थी, जो आय की प्रकृति पर निर्भर करती थी।

घोषणा के लिए व्यक्ति को एक निर्धारित फॉर्म भरकर आयकर विभाग को जमा कराना होता था, जिसमें सम्पूर्ण जानकारी देना अनिवार्य था।

घोषणा की वैधता तभी मानी जाती थी जब संबंधित कर समय पर और पूर्ण रूप से भुगतान कर दिया गया हो। अधूरी घोषणा या भुगतान अस्वीकृत किया जाता था।

4. लाभ और रियायतें

घोषणा करने वाले को कई प्रकार की रियायतें प्रदान की जाती थीं। सबसे प्रमुख लाभ यह था कि उस पर किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाती थी।

इसके अलावा, घोषित आय पर किसी प्रकार का ब्याज या जुर्माना नहीं लगाया जाता था, जिससे यह योजना करदाताओं के लिए आकर्षक बन गई।

घोषित आय को भविष्य में कर निर्धारण या पुनः मूल्यांकन में नहीं गिना जाता था, जिससे करदाता को दीर्घकालिक राहत प्राप्त होती थी।

यह योजना करदाताओं को सरकार के साथ सहयोगी संबंध बनाने का अवसर देती थी और उन्हें वैध आर्थिक प्रणाली में शामिल करती थी।

5. पात्रता मानदंड

VDIS में कोई भी भारतीय नागरिक, साझेदारी फर्म, कंपनी या ट्रस्ट भाग ले सकते थे। इसने सभी करदाताओं को समान अवसर प्रदान किया।

हालांकि, जिन व्यक्तियों या संस्थाओं के विरुद्ध कर जांच या मुकदमा पहले से चल रहा था, वे इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते थे।

इसके अलावा, विदेशी नागरिक, विदेशी कंपनियां, और वे करदाता जिनके मामले अदालतों में लंबित थे, उन्हें योजना से बाहर रखा गया था।

कुछ विशेष श्रेणियों जैसे NRI या राजनीतिक व्यक्तियों के लिए भी योजना में प्रतिबंध लगाए गए थे ताकि इसका दुरुपयोग न हो।

6. घोषणा की प्रक्रिया

VDIS के तहत घोषित आय को निर्धारित फॉर्म में आयकर कार्यालय में जमा कराना होता था। इस फॉर्म में सभी आवश्यक विवरण भरना जरूरी था।

घोषणा के साथ संपत्ति या नकदी का स्रोत, अनुमानित मूल्य, स्थान और स्वामित्व के दस्तावेज़ भी संलग्न करने होते थे।

घोषणा प्राप्त होने के बाद आयकर विभाग उसकी समीक्षा करता था और यदि सब कुछ सही पाया जाता तो उसे स्वीकार कर लिया जाता था।

यह प्रक्रिया सरल और पारदर्शी थी, जिससे अधिक से अधिक लोग योजना से जुड़ सके और वैध आय की घोषणा कर सके।

7. कर दर और भुगतान नियम

VDIS के अंतर्गत घोषित आय पर लागू कर दर 30% से 35% के बीच निर्धारित की गई थी। यह दर आय की प्रकृति के अनुसार तय होती थी।

घोषणा के साथ कर का भुगतान एकमुश्त करना अनिवार्य था। किश्तों में भुगतान की अनुमति नहीं थी, जिससे सरकार को तत्काल राजस्व प्राप्त हुआ।

यदि करदाता समय पर कर भुगतान करने में असफल होता, तो उसकी घोषणा को निरस्त किया जा सकता था और उस पर सामान्य नियम लागू होते थे।

भुगतान डिमांड ड्राफ्ट, चेक या नकद के रूप में अधिकृत बैंक या डाकघर के माध्यम से किया जा सकता था।

8. गोपनीयता और कानूनी संरक्षण

VDIS के अंतर्गत की गई घोषणा की जानकारी को गोपनीय रखा जाता था और इसे किसी भी सार्वजनिक दस्तावेज़ या कानूनी कार्यवाही में उपयोग नहीं किया जा सकता था।

घोषणा करने वाले व्यक्ति को कर विभाग या अन्य एजेंसियों द्वारा जांच का सामना नहीं करना पड़ता था, जब तक कि उसने योजना के नियमों का उल्लंघन न किया हो।

घोषणा के आधार पर कोई अभियोजन नहीं चलाया जा सकता था, जिससे करदाताओं को मानसिक शांति और सुरक्षा प्राप्त हुई।

इससे योजना में विश्वास बढ़ा और अधिक लोग इसमें शामिल हुए, जिससे सरकार को व्यापक सफलता प्राप्त हुई।

9. समालोचना और विवाद

हालांकि योजना को सकारात्मक रूप से देखा गया, लेकिन कई विशेषज्ञों और नेताओं ने इसकी आलोचना भी की।

उनका कहना था कि यह ईमानदार करदाताओं के साथ अन्याय है क्योंकि जिन्होंने कर भरा उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।

इसके अलावा कुछ मामलों में योजना का दुरुपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन को वैध करने के लिए किया गया।

इस योजना को लेकर कुछ जनहित याचिकाएं भी न्यायालयों में दायर की गई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध ठहराया।

10. योजना का प्रभाव और निष्कर्ष

VDIS के अंतर्गत सरकार को लगभग ₹10,000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ, जो योजना की सफलता को दर्शाता है।

कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ी और कई करदाताओं ने पहली बार स्वेच्छा से आय की घोषणा की।

इस योजना से यह सिद्ध हुआ कि यदि सरकार करदाताओं को सही अवसर देती है तो वे कर अनुपालन के लिए तैयार रहते हैं।

इस तरह VDIS न केवल एक वित्तीय योजना थी, बल्कि यह नागरिकों को मुख्यधारा में लाने का एक बड़ा सामाजिक प्रयोग भी था।

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. VDIS कब शुरू हुई थी? यह योजना 1 जून 1997 को शुरू हुई और 31 दिसंबर 1997 को समाप्त हुई।
  2. क्या VDIS के तहत घोषित आय पर कोई कार्रवाई नहीं होती? हाँ, योजना के तहत घोषित आय पर दंडात्मक या कानूनी कार्रवाई नहीं होती थी।
  3. क्या विदेशी नागरिक इस योजना का हिस्सा बन सकते थे? नहीं, विदेशी नागरिकों को इस योजना से बाहर रखा गया था।
  4. क्या VDIS में किश्तों में कर भुगतान की अनुमति थी? नहीं, कर का भुगतान एकमुश्त करना अनिवार्य था।
  5. घोषणा करने की प्रक्रिया क्या थी? निर्धारित फॉर्म में जानकारी भरकर आयकर विभाग में जमा करनी होती थी।
  6. क्या यह योजना दोबारा कभी लाई गई? VDIS के बाद भी अन्य प्रकार की कर प्रकटीकरण योजनाएं लाई गईं, जैसे IDS 2016।
  7. घोषित संपत्ति का मूल्यांकन कैसे होता था? स्वघोषित मूल्य स्वीकार होता था, लेकिन उसका आधार स्पष्ट होना जरूरी था।
  8. क्या इस योजना पर न्यायालय में विवाद हुआ? हाँ, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने योजना को वैध माना।
  9. क्या घोषित आय को भविष्य में कर मूल्यांकन में जोड़ा जाता था? नहीं, योजना के तहत घोषित आय को भविष्य के मूल्यांकन में नहीं गिना जाता था।
  10. इस योजना से सरकार को कितना राजस्व मिला? सरकार को लगभग ₹10,000 करोड़ से अधिक का कर राजस्व प्राप्त हुआ।

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