NSA क्या है? | NSA full form, कार्य, भूमिका, महत्व और पूरी जानकारी हिंदी में

NSA क्या है?

अनुक्रमणिका (Table of Contents)

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की परिभाषा
  2. पद की स्थापना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति प्रक्रिया
  4. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की प्रमुख जिम्मेदारियाँ
  5. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) में भूमिका
  6. प्रधानमंत्री के साथ संबंध और समन्वय
  7. विदेश नीति और रक्षा नीति में योगदान
  8. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खतरों पर सलाह देना
  9. महत्वपूर्ण व्यक्तित्व जो NSA रहे हैं
  10. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का समग्र महत्व

1. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की परिभाषा

NSA का फुल फॉर्म National Security Advisor है। NSA भारत सरकार का एक उच्च स्तरीय पद है जो प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों पर सलाह देता है। यह पद सरकार की सुरक्षा नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

Illustration of Mr. Ajit Doval, the National Security Advisor of India, and the Indian Prime Minister, both in formal suits, standing in a secure command room

NSA का कार्य नीतियों को समन्वित करना और देश को आंतरिक व बाहरी खतरों से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक रणनीति बनाना होता है। यह एक तकनीकी व राजनीतिक दोनों प्रकार का पद है।

NSA सीधे प्रधानमंत्री के अधीन होता है और उसे भारत की सुरक्षा चुनौतियों की गहराई से समझ होनी चाहिए। इस पद के लिए अनुभव, निर्णय क्षमता और गोपनीयता बहुत जरूरी होती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कार्य केवल युद्ध या संकट की स्थिति तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह दीर्घकालिक सुरक्षा योजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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2. पद की स्थापना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद वर्ष 1998 में गठित किया गया था। यह पहल अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय हुई थी।

इस पद की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था कि प्रधानमंत्री को सुरक्षा और सामरिक मामलों में एक समर्पित सलाहकार मिल सके, जो सिर्फ इन्हीं विषयों पर केंद्रित हो।

पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा थे, जो प्रधानमंत्री वाजपेयी के विशेष सलाहकार के रूप में कार्यरत थे।

तब से लेकर अब तक यह पद भारत की सुरक्षा रणनीति में एक अनिवार्य स्तंभ बन चुका है और सरकार की नीति निर्माण में इसकी भूमिका बढ़ी है।

3. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति प्रक्रिया

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। यह एक राजनीतिक नियुक्ति होती है, जिसे संवैधानिक रूप से कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती।

NSA का कार्यकाल पूरी तरह प्रधानमंत्री की इच्छा पर निर्भर करता है। उसे हटाया या दोबारा नियुक्त किया जा सकता है।

हालांकि NSA के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता तय नहीं है, फिर भी यह अपेक्षित होता है कि व्यक्ति का अनुभव सुरक्षा, विदेश नीति या प्रशासन में हो।

कुछ NSA पूर्व विदेश सचिव, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी या अनुभवी नौकरशाह रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अनुभव इस पद पर सबसे बड़ा मापदंड है।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

NSA की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना है। इसके अंतर्गत सैन्य, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा आदि शामिल हैं।

इसके अलावा NSA विभिन्न खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय करता है। वह खुफिया रिपोर्टों का विश्लेषण कर नीतिगत सुझाव देता है।

NSA अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की सुरक्षा नीति का प्रतिनिधित्व भी करता है। वह उच्चस्तरीय वार्ताओं में भाग लेता है और रणनीतिक साझेदारों के साथ संवाद करता है।

NSA कई महत्वपूर्ण समितियों जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, सामरिक नीति समूह, और मंत्रिस्तरीय समितियों का हिस्सा होता है।

5. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) में भूमिका

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत की शीर्ष सुरक्षा नीति निर्धारण संस्था है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं।

NSA इस परिषद का सचिव होता है और इसकी बैठकों का समन्वय करता है। वह एजेंडा तय करता है और सूचनाएं एकत्र कर प्रस्तुत करता है।

NSC के तहत तीन प्रमुख निकाय होते हैं: सामरिक नीति समूह, नीति और योजना समूह तथा खुफिया समन्वय समूह। NSA इन सभी का संचालन करता है।

इस परिषद की बैठकों में लिए गए निर्णयों को अमल में लाने की प्रक्रिया भी NSA की निगरानी में होती है।

6. प्रधानमंत्री के साथ संबंध और समन्वय

NSA प्रधानमंत्री का सबसे करीबी रणनीतिक सलाहकार होता है। वह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है और उनसे लगातार संवाद करता है।

कई बार NSA को "प्रधानमंत्री की आंख और कान" भी कहा जाता है क्योंकि वह न केवल जानकारी देता है, बल्कि निर्णय लेने में भी मार्गदर्शन करता है।

NSA प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों और द्विपक्षीय वार्ताओं में शामिल होता है और उन्हें सुरक्षा से जुड़ी ब्रीफिंग देता है।

प्रधानमंत्री के विभिन्न नीति निर्माण प्रक्रियाओं में NSA की राय को अत्यंत महत्व दिया जाता है।

7. विदेश नीति और रक्षा नीति में योगदान

हालांकि विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय इन नीतियों के आधिकारिक संरचनात्मक अंग हैं, फिर भी NSA की भूमिका इसमें अत्यधिक प्रभावशाली होती है।

NSA भारत की विदेश नीति को सुरक्षा दृष्टिकोण से देखता है और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का रणनीतिक विश्लेषण करता है।

वह रक्षा सौदों, रक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

NSA विदेशों में भारत की सुरक्षा नीति का प्रतिनिधित्व करता है और अन्य देशों के NSA से वार्ता करता है।

8. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खतरों पर सलाह देना

NSA का एक प्रमुख कार्य है कि वह देश के सामने आने वाले सुरक्षा खतरों की पहचान कर उनके समाधान का मार्ग सुझाए।

इसके अंतर्गत आतंकवाद, सीमा पार घुसपैठ, साइबर हमले, जैविक खतरे आदि सभी शामिल हैं।

NSA खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर रणनीति बनाता है और सरकार को आवश्यक चेतावनी देता है।

आधुनिक समय में जब खतरे केवल सैन्य नहीं बल्कि डिजिटल और आर्थिक भी हैं, NSA की भूमिका और व्यापक हो गई है।

9. महत्वपूर्ण व्यक्तित्व जो NSA रहे हैं

भारत के पहले NSA ब्रजेश मिश्रा थे, जिन्होंने इस पद की आधारशिला रखी। उनके बाद जे.एन. दीक्षित, एम.के. नारायणन जैसे अनुभवी राजनयिक इस पद पर रहे।

शिवशंकर मेनन और अजित डोभाल जैसे NSA ने इस पद की रणनीतिक ताकत को और अधिक विस्तार दिया।

वर्तमान में (2025 तक) **अजित डोभाल** इस पद पर कार्यरत हैं, जिन्हें एक मजबूत और निर्णायक NSA माना जाता है।

इन सभी NSA ने भारत की सुरक्षा नीति को एक नई दिशा देने में अहम योगदान दिया है।

10. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का समग्र महत्व

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का महत्व केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वह एक रणनीतिक दृष्टा भी होता है।

यह पद प्रधानमंत्री और सरकार को सुरक्षा संबंधी तत्काल निर्णय लेने में सहायक बनाता है।

NSA की उपस्थिति सुनिश्चित करती है कि देश के सामने आने वाले खतरे समय रहते पहचाने जाएं और उचित उपाय किए जाएं।

आज के समय में जब सुरक्षा बहुआयामी हो गई है, NSA का योगदान राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. प्रश्न: क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एक मंत्री होता है?
    उत्तर: नहीं, यह एक मंत्री पद नहीं है। यह एक सलाहकार पद है जो प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
  2. प्रश्न: NSA की सैलरी कितनी होती है?
    उत्तर: NSA की सैलरी कैबिनेट सचिव या सचिव स्तर की होती है, लेकिन सटीक राशि गोपनीय रखी जाती है।
  3. प्रश्न: क्या NSA चुनाव लड़ सकता है?
    उत्तर: हां, अगर वह सेवा में नहीं है तो चुनाव लड़ सकता है, लेकिन सामान्यतः यह पद गैर-राजनीतिक होता है।
  4. प्रश्न: क्या भारत के NSA को संसद में पेश होना पड़ता है?
    उत्तर: नहीं, NSA को संसद में जवाबदेह नहीं होना पड़ता क्योंकि वह सांसद नहीं होता।
  5. प्रश्न: NSA को कौन रिपोर्ट करता है?
    उत्तर: खुफिया एजेंसियां, सुरक्षा एजेंसियां और संबंधित मंत्रालय NSA को रिपोर्ट करते हैं।
  6. प्रश्न: क्या NSA की कोई सीमा होती है?
    उत्तर: हां, उसकी भूमिका केवल सलाह तक सीमित होती है। अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री लेते हैं।
  7. प्रश्न: क्या NSA कोर्ट में उत्तरदायी होता है?
    उत्तर: सामान्यतः नहीं, क्योंकि यह पद नीतिगत सलाह देता है, न कि क्रियान्वयन करता है।
  8. प्रश्न: क्या NSA के लिए कोई परीक्षा होती है?
    उत्तर: नहीं, यह पद अनुभव और नियुक्ति पर आधारित होता है, परीक्षा के माध्यम से नहीं।
  9. प्रश्न: क्या NSA सेना से हो सकता है?
    उत्तर: हां, पूर्व सैन्य अधिकारी इस पद पर नियुक्त हो सकते हैं, जैसे कि अजित डोभाल जो पूर्व खुफिया अधिकारी हैं।
  10. प्रश्न: क्या भारत के अलावा अन्य देशों में भी NSA होता है?
    उत्तर: हां, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में भी NSA या समान प्रकार के पद होते हैं।

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